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लियो टॉलस्टॉय की रचनाएँ



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मैकू परकाशस्वरूप हो रहा था, उस पर आंख नहीं जमती थी। वह फिर कहने लगा-देखो, पराणि मात्र परेम द्वारा जीते हैं, केवल पोषण से कोई नहीं जी सकता। वह स्त्री क्या जानती थी कि उसकी लड़कियों को कौन पालेगा, वह धनी पुरुष क्या जानता था कि गाड़ी में ही मर जाऊंगा, घर पहुंचना कहां! कौन जानता था कि कल क्या होगा, कपड़े की जरूरत होगी कि कफन की।
मनुष्य शरीर में मैं केवल इस कारण जीता बचा कि तुमने और तुम्हारी स्त्री ने मुझसे परेम किया। वे अनाथ लड़कियां इस कारण पलीं कि एक बुयि ने परेमवश होकर उन्हें दूध पिलाया। मतलब यह है कि पराणी केवल अपने जतन से नहीं जी सकते। परेम ही उन्हें जिलाता है। पहले मैं समझता था कि जीवों का धर्म केवल जीना है, परन्तु अब निश्चय हुआ कि धर्म केवल जीना नहीं, किन्तु परेमभाव से जीना है। इसी कारण परमात्मा किसी को यह नहीं बतलाता कि तुम्हें क्या चाहिए, बल्कि हर एक को यही बतलाता है कि सबके लिए क्या चाहिए। वह चाहता है कि पराणि मात्र परेम से मिले रहें। मुझे विश्वास हो गया कि पराणों का आधार परेम है, परेमी पुरुष परमात्मा में, और परमात्मा परेमी पुरुष में सदैव निवास करता है। सारांश यह है कि परेम और पमेश्वर में कोई भेद नहीं।
यह कहकर देवता स्वर्गलोक को चला गया।
(अनुवाद: प्रेमचंद)

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